हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[fblike]

अतिथि ने छह दिनों से अन्न ग्रहण नहीं किया है यह सोचकर नागराज पद्मनाभ बड़े दुखी हुए. उन्होंने पत्नी से कहा- मनुष्य नागवंश के दर्शन के लिए इतने व्याकुल नहीं होते. आपने शायद पहचानने में भूल की है.

नाग महापराक्रमी और वेगवान होते हैं, देवताओं, असुरों और ऋषियों के लिए भी वंदनीय हैं. मनुष्यों के लिए हमारा दर्शन सुलभ नहीं हैं. दर्शन के लिए इस तरह आज्ञा देकर मुझे बुला सकने वाला वह कोई मनुष्य नहीं है.

नागपत्नी ने कहा- उसकी सरलता से मैं इतना तो समझती हूं कि वह देवता नहीं है. जो शरण में आए हुए के आंसू नहीं पोछता उसकी मर्यादा और कीर्ति भस्म हो जाती है. नीति कहती है कि आपको तत्काल उसके दर्शन करने चाहिए. मर्यादा उसमें है.

नाग की आंखों पर पड़ आई श्रेष्ठता की पट्टी तत्काल उतर गई. वह बोला- इंद्र के भी बलशाली रावण रोष के कारण मारा गया, कार्तवीर्य अर्जुन इंद्र को हराना का सामर्थ्य रखता था किंतु परशुरामजी ने उसका वध कर दिया.

वे सभी अंहकार के वश में आ गए थे. तुम्हारे वचनों ने मुझे पथभ्रष्ट होने से रोका. उत्तम जीवनसंगिनी सदा अपने पति को धर्म के मार्द पर ले जाती हुई मोक्ष प्रदान करती है. मैं तत्काल ब्राह्मण के दर्शन को जाता हूं.

शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here