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श्रीराधा-कृष्णजी के विवाह के प्रसंग की कथाएं यदा-कदा दिख जाती है. ब्रह्मवैवर्त पुराण और गर्ग संहिता में श्रीराधा-कृष्ण के विवाह के प्रसंग आते हैं. ऐसी ही एक कथा आपके लिए लेकर आए हैं.
नारद जी ने श्रीराधा और श्रीकृष्ण के विवाह की यह रोचक कथा राजा बहुलाश्व को सुनाई- गर्ग संहिता का एक प्रसंग.
श्री नारद जी राजा बहुलाश्व से बोले, बात जब श्रीराधा और कृष्ण के विवाह की आयी तो राधा के पिता वृषभानुवर से गोपों ने कहा, आप श्रीकृष्ण के पिता नंदराज जी की परीक्षा लीजिये.
कहां आप भलनंद राजा के दामाद, कुबेर जैसे धनी कहां किसान नंदराज. क्या वे इस लायक हैं कि हमारी राधा जैसी रत्न सरीखी बेटी उनके घर जाये.
वृषभानुवर के मित्रों और सलाह देने वालों ने उन्हें समझाया, आपके घर तो देवताओं के विमान जैसे रथ, घोड़े-हाथी, हीरे जवाहरात, सोना-चाँदी इतना भरपूर है कि गउएं भी आभूषण पहनती है.
भोजन-पान भी बहुत प्रचुर है, भंडार भरे पड़े हैं. अतिथि प्रसन्न रहते हैं पर क्या उनका भी वैभव हमारे बराबर है.
वृषभानुवर को बात जंच गई.
वृषभानुवर ने बड़े बड़े मोतियों से बने एक करोड़ हार मंगवाये. हार में ऐसो दुर्लभ मोती लगे थे कि एक एक मोती एक करोड़ सोने के सिक्कों से भी कीमती था.
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