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उसने इस बार एक खिड़की पसंद की और उसमें जाला बुनना शुरू किया. कुछ देर तक वह जाला बुनती रही. आधा जाला बन चुका कि तभी एक चिड़िया आयी.

मकड़ी का मजाक उड़ाते चिड़िया बोली- अरे मकड़ी , तू भी कितनी बेवकूफ है. यहां खिड़की पर तेज हवा चलती है, जाला ही उड़ जाएगा. फिर कसेंगे कीड़े इसमें.

मकड़ी को चिड़िया की बात ठीक लगीँ. उसने वह जाला भी अधूरा छोड़ने का मन बना लिया और नया जगह तलाशने लगी.

काफी बीत चुका था. अब उसे भूख भी लगने लगी थी. उसे एक आलमारी का खुला दरवाजा दिखा और उसने उसमें जाला बुनना शुरू किया.
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