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स्त्रियों का न सिर्फ उनका योगदान महान है बल्कि वे सबसे आसानी से पुण्य लाभ कमा लेती हैं. मन, वचन, कर्म से परिवार की समर्पित सेवा ही उनको महान पुण्य दिलाने को पर्याप्त है. वह अपनी दिनचर्या में ऐसा करती हैं इसलिए वे ही धन्य हैं.

मैंने अपनी बात बता दी, अब आप लोग बताएं कि कैसे पधारना हुआ. सभी ने एक सुर में कहा हम लोग जिस काम से आये थे आपकी कृपा से पूरा हो गया.

महर्षि व्यास ने कहा- आप लोगों को नदी तट पर देख मैंने अपने ध्यान बल से आपके मन की बात जान ली थी इसीलिए डुबकी लगाने के साथ ही जवाब भी देता गया था. सभी ने महर्षि व्यास की पूजा की और अपने-अपने स्थान को लौट गए.

(स्रोत: विष्णु पुराण, दूसरा अध्याय)

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