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इसलिए आज के दिन 56 प्रकार के भोजन और सभी के एक साथ बैठकर भोजन करने को मंगलकारी बताया जाता है. गोवर्धन पूजा साधारण पूजा नहीं, प्रकृति की उपासना, प्रकृति से प्रेम और आपसी एकता का बहुत बड़ा संदेश है.
गौ का जैसा अपमान हो रहा है, समाज में जो एकता खत्म हो रही है और विधर्मियों का जैसे-जैसे प्रभुत्व बढ़ रहा है उसे देखते हुए आज यह पूजा श्रीकृष्ण के युग से ज्यादा प्रासंगिक हो गई है.
गोवर्धन पूजा की विधि:
सुबह जल्दी स्नान किया जाता है. फिर घर की रसोई में ताजे पकवान बनाये जाते हैं. घर के आंगन में अथवा खेत में गोबर से भगवान गोवर्धन की प्रतिमा बनाई जाती है.
साथ में गाय, भैंस, खेत खलियान, बैल, खेत के औजार, दूध दही एवम घी वाली, चूल्हा आदि को गोबर अथवा मिट्टी से बनाया जाता हैं. कृषि उपकरणों की भी पूजा की जाती हैं.
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