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भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी उसी के उपलक्ष्य में दीवाली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है.
यह पर्व खासतौर से किसान और पशुपालक लोग मनाते हैं. इसके लिए घरों में खेत की शुद्ध मिट्टी अथवा गाय के गोबर से घर के द्वार पर, घर के आंगन अथवा खेत में गोवर्धन पर्वत का स्वरूप बनाया जाता है और उन्हें 56 भोग चढ़ाया जाता है.
भगवान ने इंद्र द्वारा भेजे प्रलयंकारी बादलों से ब्रजवासियों की रक्षा के लिए सात दिनों तक पर्वत को उंगली पर उठाकर रखा था. उन सात दिनों में भगवान ने भोजन भी नहीं लिया था. बालरूप भगवान प्रतिदिन आठ बार आहार लेते थे.
इसलिए जब इंद्र ने आकर क्षमा मांग ली और वर्षा रूक गई तो ब्रजवासियों ने अपने प्रिय कन्हैया के लिए सात दिनों के हिसाब से 56 भोग एक साथ खाने को परोस दिए. प्रभु अपने प्रियजनों की सरलता से भाव-विभोर हो गए और उन्होंने उसे प्रसाद स्वरूप सबके साथ ग्रहण किया.
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