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पिछली कथा से आगे…

राम तो पितामह भृगु के आश्रम आश्रम में कुछ विद्याएं और कौशल सीखने आए थे लेकिन पितामह ने उन्हें आश्रम से चले जाने को कह दिया. राम ने भृग़ु से पूछा कि उन्हें कहां जाना चाहिए? उनके आश्रम से चले जाने में कौन सा विश्वकल्याण छुपा है?

भृगु ने बताया- आप किस कार्य के लिए पृथ्वी पर आए हैं, उन दुष्कर कार्यों को आरंभ करने के लिए आपको दिव्य शक्तियों की आवश्यकता होगी. उसके लिए आपको हिमवान पर्वत पर जाकर भगवान शिव की महाआराधना करनी होगी.

आप भगवान शंकर को तप से प्रसन्न करें. आपको जो कार्य पूर्ण करने हैं उसके लिए भगवान शिव की सहायता आवश्यक है. इसलिए सर्वप्रथम उन्हें प्रसन्न करें. महादेव से समस्त शस्त्रों का ज्ञान वरदान स्वरूप प्राप्त करें.

राम ने पूछा- हे पितामह! यदि देवाधिदेव महादेव मेरे तप से प्रसन्न हो जाएं तो मैं उनसे शास्त्रों के ज्ञान के स्थान पर शसत्रों का ज्ञान प्राप्त करूं, आपने ऐसा क्यों कहा? एक तपस्वी के लिए शस्त्र की क्या उपयोगिता?

भृगु बोले- आपका पृथ्वी पर आगमन जिन कार्यों के लिए हुआ है वह शस्त्र के बिना पूर्ण नहीं होगा. आपको समय आने पर सब ज्ञात हो जाएगा. शिवजी के प्रसन्न होकर दर्शन से शास्त्रों का ज्ञान तो स्वतः प्राप्त हो जाता है. इसलिए शस्त्रज्ञान मांगना.
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