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मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें।
फिर- ‘मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये. इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए.

व्रत संकल्प मंत्र का अर्थ-
मैं अपने पति, पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि एवं मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को पांच साल तक करने का संकल्प लेती हूं.

तत्पश्चात मंगला गौरी के चित्र या प्रतिमा को एक चौकी पर सफेद फिर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है. फिर उस प्रतिमा के सामने एक घी का दीपक (आटे से बनाया हुआ) जलाएं, दीपक ऐसा हो, जिसमें सोलह बत्तियां लगाई जा सकें. उसके बाद निम्न मंत्र बोलकर षोडषोपचार पूजन आरंभ करें

‘कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्।
नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्..।।

यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन किया जाता है. माता के पूजन के पश्चात उनको (सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चुडि़यां तथा मिठाई चढ़ाई जाती है.

इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि होना चाहिए. पूजन के बाद मंगला गौरी की कथा सुनी जाती है.

मंगला गौरी व्रत विधि

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