आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
प्राचीन समय में किसी गांव में एक दंपत्ति रहते थे. उनकी एक प्यारी सी बिटिया थी. अपनी इकलौती संतान को माता पिता प्यार से आंगन की चिड़िया कहा करते थे. उनके आंगन में एक पेड़ था जिस पर एक चिड़ा (नर चिड़िया) रहता था.
यह दम्पत्ति अपनी बिटिया को हंसी-हंसी में हमेशा कहा करते थे कि बिटिया तू तो हमारे आंगन की चिड़िया है. जब तू बड़ी होगी तो घर के बाहर पेड़ पर जो चिड़ा बैठता है उसके साथ तेरा विवाह कर देंगे.
चिड़ा उनकी ये बातें पेड़ पर बैठा सुनता रहता. उसने इस बात को सच मान लिया. उसने मन ही मन में उस लड़की को अपनी होने वाली पत्नी ही मान लिया और उसके बड़े होने का इंतजार करने लगा.
समय अपनी गति से चलता रहा. बच्ची बड़ी हुई और विवाह के योग्य हुई. माता-पिता को विवाह की चिंता हुई और आखिरकार पिता ने एक सुयोग्य वर देखकर उसका विवाह तय कर दिया.
विवाह की तैयारियां शुरू हो गईं. किसी और के साथ उस लड़की का विवाह होता देखकर उस चिड़े को बड़ा क्रोध आया. अपने मन की बात कहने वह लड़की के पिता के पास गया.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.