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वेताल बने रूद्रकिंकर ने राजा विक्रम को कहानी सुनानी शुरू की. भोगवती नगरी पर राजा रूपसेन का राज था. राजा बड़ा प्रजापालक और पक्षीप्रेमी था. चिन्तामणि नाम का एक तोता राजा का बड़ा प्रिय था.

एक दिन राजा ने चिन्तामणि से पूछा- हमारा ब्याह किसके साथ होगा? तोते ने कहा- मगधराज की बेटी के साथ. पक्षी की बात का क्या सो राजा ने ज्योतिषी को बुलाकर पूछा. उसने भी तोते की बात दुहरा दी.

अब मगध देश की बात सुनो. मगध के राजा की एक पुत्री मदनमञ्जरी बड़ी ही सुंदर थी. राजकुमारी भी पक्षियों को बहुत प्यार करती थी. उसके पास एक चंचल मैना थी.

एक दिन राजकुमारी ने उससे पूछा- मैना बता मेरा विवाह किसके साथ होगा? मैना ने उत्तर दिया कि भोगवती के राजा रूपसेन के साथ. राजकुमारी ने राजपुरोहित से पूछा तो उसने भी मैना जैसे बात ही कही.

अब जब बात इस स्तर तक पहुंच गयी तो दोनो राजपरिवारों में आपस में संपर्क हुआ इसके बाद दोनों का विधिवत विवाह भी हो गया. रानी अपने साथ अपनी प्यारी मैना भी लाई.

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