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एक दिन प्रमद्वरा सखियों के साथ वन में गई और उसका एक सर्प पर पैर पड़ गया. क्रोधित सर्प ने उसे डंस लिया और उसकी मृत्यु हो गई. इससे रुरु बहुत शोक में डूब गया.
रुरु विलाप कर रहा था तभी वहां एक देवदूत पहुंचा और उसने कहा कि प्रमद्वरा को जिनती आय़ु मिली थी वह उस आयु को जी चुकी है. लेकिन रुरु यह सुनने को तैयार न था.
देवदूत ने कहा कि यदि रुरु अपनी आधी आयु दे दो तो यह पुन: जीवित हो जाएगी. रुरु सहर्ष अपनी आधी आयु प्रमद्वरा को देने को तैयार हुआ तो विश्वावसु और मेनका धर्मराज के पास गए और अपनी पुत्री को जीवित कराया.
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