सुहागिनों और कहीं-कहीं कुंआरी कन्याओं द्वारा अच्छे दांपत्य जीवन की कामना से किया जाने वाला त्योहार है तीज. विधि-विधान से तीज व्रत रखके शिव-पार्वती पूजन से अखंड सुहाग का वरदान मिलता है.
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भगवान शिव और माता पार्वती की जोड़ी अखंड है. उनका भरा-पूरा परिवार है. इसलिए स्त्रियां शिव-पार्वती की उपासना अखंड सुहाग एवं सुखी परिवार के लिए तीज व्रत करती हैं. भारत में साल में चार तीज मनाने की परंपरा है. तीज व्रत स्थान और मान्यताओं पर भी निर्भर करता है.
हर तीज का अपना अलग महत्व है, सभी को धूमधाम से मनाया जाता है. इनमें से हरियाली तीज और हरितालिका तीज व्रत सबसे ज्यादा लोकप्रिय है.
- सावन शुक्लपक्ष की तृतीया की तीज को हरियाली तीज या श्रावणी तीज या सिंधारा तीज कहते है.
- पूर्वी और मध्य भारत में भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया को तीज पर्व मनाया जाता है. इसे हरितालिका तीज कहते हैं.
खैर, तीज जिस भी महीने में मना रहे हों, पर्व सौभाग्य का है. सबमें शिव-पार्वती की पूजा होती है. स्थानीय मान्यताओं-परंपराओं में थोड़ा-बहुत फेरबदल हो सकता है. इस पोस्ट में आप तीज व्रत की सरल पूजा विधि, तीज व्रतकथा, तीज व्रत की सामग्री, तीज व्रत के मंत्र आदि जानेंगे. तीज व्रत को दिनभर जपे जाने वाले कुछ सरल मंत्र भी बताएंगे. उनके जप से आपके व्रत का फल कई गुना बढ़ जाएगा.
कुल मिलाकर आप यह समझ लें कि पोस्ट पढ़ने के बाद आप तीज व्रत की पूजा खुद तो कर ही सकते हैं दूसरों की पूजा में हेल्प भी कर सकते हैं. तीज व्रत की चर्चा आगे बढ़ाने से पहले यह समझ लें कि तीज मनाई क्यों जाती है?
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तीज व्रत क्यों?
सनातन से जुड़े सभी व्रत-त्योहार के पीछे कोई न कोई ठोस और व्यवहारिक कारण छुपा होता है. तीज व्रत के पीछे भी कई व्यवहारिक कारण हैं. बहुत गर्मी के बाद जब बरसात आती है तो चारों और हरियाली छाती है. इसी हरियाली और धरती के नयेपन को तीज के रूप में लोग मनाते है, ताकि हमारे देश में खेती अच्छे से हो. हमारा देश कृषि प्रधान रहा है. कृषि कार्य से परिवार चलता था. तो पति को कृषिकार्य में कष्ट न हो इसके लिए स्त्रियां अच्छे बरसात की कामना करती हैं.
बरसात का महीना खेती-बाड़ी के लिए बड़ा कठिन होता है. पति को प्रसन्न रखने और आकर्षित करने के लिए इस महीने में शृंगार आदि का विशेष महत्व है. झूला-झूलना प्रतीक है कि पत्नी अपने पति के ही बताए मार्ग पर अनुसरण करेगी. उसके जीवन की डोर पति के हाथ में ही है. वह उसे जितना ऊंचा ले जाए.
हरियाली तीज व्रत के द्वारा लोग भगवान ने अच्छी वर्षा की कामना करते है. औरतें अपने परिवार, पति के लिए प्रार्थना करती है. लड़कियां अच्छे वर की कामना करती हैं.
बहुत से लोग इसे सिर्फ मेहंदी लगाने, झूले-झूलने और शॉपिंग का पर्व मानने लगे हैं. यह व्रत प्रतीक है कि अपने शरीर को तपाकर भी स्त्री अपने पति को रिझाए रखने का सामर्थ्य रखती है. उसके सौंदर्य के आगे प्रकृति का सौंदर्य फीका है.
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तीज व्रत की पूजा कैसे करेंः
कहते हैं, पार्वतीजी ने शिवजी को पतिरूप में प्राप्त करने के लिए 107 जन्म लिए और शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तप करती रहीं. 108वें जन्म में शिवजी उन्हें प्राप्त हुए. किसी स्त्री के लिए उसकी सबसे बड़ी पूंजी है उसका सुहाग. अखंड सौभाग्य की कामना से स्त्रियां तीज व्रत करती हैं. माता पार्वती ने कठिन व्रत से शिवजी जैसा उत्तम पति प्राप्त किया था.
- तीज की पूजा को पूरे विधि-विधान से किया जाता है. एक दिन पहले मेहंदी सजाई जाती है.
- व्रत के दिन महिलाएं निर्जल रहकर व्रत रखती हैं.
- पूजा के लिए मिट्टी या बालू से शिव-पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है.
- साफ-स्वच्छ स्थान पर तोरण-मंडप आदि बनाएं.
- एक लकड़ी की चौकी या पीढ़े पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, पार्वतीजी, उनकी सखी, गणेशजी और रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमा बनाएं. पार्वतीजी की सखी की प्रतिमा क्यों बनाते हैं, यह बात तीज व्रत की कथा में आगे जानेंगे.
- प्रतिमाएं बनाते समय उन भगवान का स्मरण करें जिनकी प्रतिमा बना रहे हैं. भगवान का स्मरण उनके किसी भी मंत्र से कर सकते हैं या मंत्र याद नहीं है तो उनका ध्यान करके उनका आदर से नाम लेते रहें तो भी पर्याप्त है.
- शिवजी की प्रतिमा बनाते समय ऊं नमः शिवाय का स्मरण करते रहें.
- पार्वतीजी की प्रतिमा बनाते समय ऊं साम्ब शिवाय नमःमंत्र का स्मरण करते रहें.
- गणेशजी की प्रतिमा बनाते समय ऊं गं गणपत्ये नमः या ऊं गौरीपुत्राय नमः का स्मरण करते रहें.
- प्रतिमाएं बन जाएं तो फिर देवताओं का आह्वान करें. उसके बाद षोडशोपचार यानी सोलह प्रकार के पूजन करें. सोलह प्रकार के पूजन शब्द से घबराएं नहीं. यह पूजन बहुत सरल हैं. इनके मंत्र भी बहुत सरल हैं. आप Prabhu Sharnam ऐप्पस डाउनलोड कर लें. उसके व्रत-पूजा मंत्र सेक्शन में इसकी ऐसी सरल विधि बताई गई है जिसे कोई भी स्वयं कर सकता है. यहां लिंक दे रहे हैं. जब पूजा कर ही रहे हैं तो विधिवत कर लेनी चाहिए. व्रत रखा है तो पांच मिनट की पूजा से क्या पीछे हटना. बहुत सरल तरीके से समझाया गया है. प्रभु शरणम् ऐप्प में देखें- पूजन विधि सेक्शन- षोडशोपचार पूजन विधि
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- सोलह प्रकार की सामग्री भी बहुत आसानी से मिलने वाली है जैसे पंचामृत, गंगाजल, कुमकुम आदि. पूजा में क्या-क्या सामग्री चाहिए यह सब आगे बताया गया है. कृपया पढ़ते रहें.
- तीज का पूजन वैसे तो रात्रि भर चलता है. इस दौरान महिलाएं जागरण करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन भी करती हैं किंतु यदि स्वास्थ्य कारणों या किसी कारण से रात्रि जागरण न भी कर पाएं तो कोई चिंता की बात नहीं.
- पूजा का सबसे अच्छा समय संध्याकाल ही होता है. पूजा करते समय पार्वतीजी और शिवजी के कुछ और सरल मंत्र हैं उनका भी उच्चारण करना चाहिए. अब आपने दिनभर इतना कठिन व्रत रखा है तो पूजा भी विधिवत ही होनी चाहिए जो कि बहुत आसान है.
- आप दिनभर व्रत के दौरान इन मंत्रों का स्मरण करते रहिए. संभव हो तो माला से जप करें नहीं तो ऐसे भी कोई भी मंत्र जपते रहें. अगले पेज पर शिवजी और पार्वतीजी के आह्वान-आराधना के मंत्र दिए गए हैं.
- यदि रात्रि जागरण कर रही हैं तो प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को बिल्व-पत्र, आम पल्लव आदि अर्पण किया जाता है. रात्रि जागरण नहीं भी हो पा रहा तो भी जितने प्रहर तक जाग रहे हैं शिव-पार्वतीजी की आराधना मंत्र-आरती और स्तोत्र द्वारा करनी चाहिए. रात्रि जागरण इस व्रत में इसलिए कहा गया है क्योंकि विवाह रात्रिकाल में ही होता है. जागरण नहीं कर पा रहे तो चिंतित होने की आवश्यकता नहीं. जब तक जागे हैं प्रभु में ध्यान लगा रहे.
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