prabhusharnam laxmi Vishnu
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भगवान विष्णु के क्रोधित होकर शाप देने से माता लक्ष्मी घोड़ी बन गईं. यह श्रीहरि की माया थी. लक्ष्मीजी ने शिवजी का घोर तप किया. शिवजी ने प्रसन्न होकर उनकी मुक्ति का मार्ग बताया.

शिवजी के वरदान से श्रीहरि-लक्ष्मीजी को एक वीर पुत्र जन्मा जिसका नाम एकवीर पड़ा. श्रीहरि ने उस पुत्र को अपने भक्त राजा हरिवर्मा को सौंप दिया. यहां तक आपने पिछली कथा (श्रीहरि के शाप से घोड़ी बनी….पढ़ने के लिए क्लिक करें) में पढ़ा. अब आगे.

एकवीर श्रीहरि और लक्ष्मीजी का अंश था इसलिए उसमें रूप-गुण के साथ-साथ अद्भुत पराक्रम भी था. शिवजी के वरदान से उसका जन्म हुआ था इसलिए वह शिवगणों और असुरों द्वारा अविजीत था.

एकवीर ने राजा बनने के बाद बहुत कुशलतापूर्वक शासन आरंभ किया. उसकी प्रजा अत्यंत प्रसन्न थी. एकवीर के पड़ोसी राजा थे- रैभ्य. रैभ्य भी कुशल राजा थे और उनकी भी बड़ी ख्याति थी.

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