हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]
अपने पिता को चिंतित देखकर गृहपति ने पिता की आज्ञा लेकर शिव आराधना के लिए काशी जाने का निर्णय किया. काशी में वह प्रतिदिन एक सौ आठ कलशों से भगवान का अभिषेक और शिवमंत्र का जप करने लगे.

जन्म से बारहवें वर्ष आने पर इंद्र प्रकट होकर बोले- विप्रवर, अपनी इच्छानुसार वर मांग लें. गृहपति ने कहा- अहिल्या का सतीत्व नष्ट करने वाले से मुझे कुछ नहीं चाहिए. मैं महादेव के अतिरिक्त किसी से कोई वरदान नहीं चाहता.

गृहपति की बात से इंद्र क्रोधित हुए और वज्र से डराने लगे. गृहपति इससे मूर्च्छित हो गए. तत्काल महादेव प्रकट हुए और गृहपति से बोले- मेरे भक्त का इंद्र तो क्या यम भी नहीं कुछ बिगाड़ सकते.

इंद्र भय से कांपने लगे और उन्होंने महादेव से अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगी. महादेव ने गृहपति को वरदान दिया- आज से मैं तुम्हें अग्निपद प्रदान करता हूं. तुम्हारे द्वारा स्थापित यह लिंग काशी में अग्निश्वर नाम से प्रसिद्ध होगा.

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

हम ऐसी कहानियां देते रहते हैं. Facebook Page Like करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा: Please Like Prabhu Sharnam Facebook Page

धार्मिक चर्चा करने व भाग लेने के लिए कृपया प्रभु शरणम् Facebook Group Join करिए: Please Join Prabhu Sharnam Facebook Group

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here