महादेव ने उस तेज को हाथ में धारणकर समुद्र में फेंक दिया. वहां फेंके जाते ही भगवान शिव का वह तेज तत्काल एक बालक के रूप में परिवर्तित हो गया. सिंधु से उदभव होने के कारण उसका नाम सिन्धुपुत्र जलंधर प्रसिद्ध हुआ.

जलंधर जिसका नाम शंखचूड़ भी हुआ, शिव के तेज से उत्पन्न हुआ था इस कारण परम शक्तियों से संपन्न था. वह देवों से भी ज्यादा शक्तिवान था. वह उस तेज से पैदा हुआ था जो इंद्र को समाप्त करने वाला था इसलिए असुरों ने उसे अपना राज बनाया.

बाद में महादेव ने जलंधर का वध भी किया. अवधूत रूप में यह लीला करने के बाद महादेव अंतर्धान हो गए. इंद्र के गर्व का भंजन भी हुआ भगवान के दर्शन भी हो गए.

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