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राजा ने शकुंतला की तलाश का आदेश दिया और सारा शासन शकुंतला की खोज में व्यस्त हो गया. खबर आई कि शकुंतला जैसी एक नारी अपने शिशु के साथ दूर के जंगल में रहती है. दुष्यंत उसे लाने के लिए चल पड़े.

जब दुष्यंत शकुंतला की कुटिया क़े पास पहुंचे तो उन्होंने एक छोटे बालक को शेर के पीठ पर सवार पाया. इसे देखकर राजा तो स्तंभित हो गए. फिर भरत शेर के बच्चे के मुंह में हाथ डालकर उसके दांत गिनने लगा. दुष्यंत बहुत देर तक सब देखते रहे.

दुष्यंत ने शकुंतला और भरत को लेकर राजधानी लौट आए. राजा दुष्यंत के पश्चात भरत राजा बने उन्होंने पिता के राज्य को एक विशाल देश में परिवर्तित कर चक्रवर्ती सम्राट बने. उनके नाम पर ही यह देश भारतवर्ष कहलाता है.

भरत के तीन पुत्र हुए लेकिन उन्होंने तीनों को ही अयोग्य पाया. उत्तम पुत्र की प्राप्ति के लिए मरूत्सोम यज्ञ किया जिससे मरूदगण प्रसन्न हुए और भरद्वाज नामक पुत्र प्रदान किया. जारी….

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

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