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तब शकुंतला ने राजा को उसने दी हुई अंगूठी की याद दिलायी और अपने उंगली से उसे निकालना चाहा. उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उस ने देखा कि अंगूठी तो खो गई है.

शकुंतला को वहां से निकाल दिया गया. शकुंतला ने गर्भ के शिशु को जन्म देने की ठान ली और जंगल में चल दी. समयानुसार उसने एक अतिसुंदर और स्वस्थ बालक को जन्म दिया. उसका नाम रखा भरत.

भरत जन्म से ही बहादुर था. सिंह जैसे भयानक हिंसक जानवरों से डरने के स्थान पर वह उनपर शासन करता. जानवर उसका आदेश मानते थे. वह शेरों की सवारी करता था.

उधर दुष्यंत के दरबार में एक दिन एक अजीब घटना घटी. एक मछुआरे के जाल में एक बडी सी मछली फॅंसी. उसने उस मछली को जब काटा तो मछली के पेट में से राजा की अंगूठी मिली जो शकुंतला के हाथ से गिर गई थी.

मछुआरा राजदरबार पहुँचा और उसने राजा को राजमुद्रिका दी. अपनी अंगूठी देखते ही राजा दुष्यंत को शकुंतला का स्मरण हुआ. दरबारियों से मालूम हुआ कि शकुंतला गर्भवती थी. वह दरबार आई थी फिर उसी अवस्था में जंगल की ओर चल पडी थी.

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