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पिप्पलेश्वर महादेवः शनिग्रह जन्य समस्त बाधाओं की मुक्ति का सर्वोत्तम उपाय
पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर किसी शनिवार अवश्य यह कथा पढ़ लें. कथा आरंभ होती है.
पिप्पलाद मुनि का बचपन बड़ा कष्टप्रद बीता था. बहुत छोटी अवस्था में उन्हें अपने माता-पिता से अलग होना पड़ा. तब पीपल के पेड़ के नीचे ही उन्हें आश्रय मिला. पीपल की कृपा से वह जीवित रहे इसलिए उनका नाम पिप्पलाद भी हुआ.
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बाद में पिप्पलाद को पता चला कि उनके बाल्यकाल के कष्टों का कारण शनि प्रकोप है. उन्हें बताया गया कि आपके जन्म के साथ ही शनि की साढ़े साती ने आपको प्रभाव में ले लिया इसलिए आपका बचपन ऐसा कष्टमय रहा.
पिप्पलाद को यह बात चुभ गई कि शनि में इतना अहंकार है कि वह नवजात शिशुओं तक को नहीं छोड़ते. इसका दंड तो शनि को भुगतना पड़ेगा. पिप्पलाद घोर तपस्वी थे. वह शनिदेव से ऐसे चिढ़ गए थे कि तीनों लोकों में शनि को ढूंढना प्रारम्भ कर दिया. एक दिन अकस्मात पीपल वृक्ष पर शनि के दर्शन हो गए.
मुनि ने तुरन्त अपना ब्रह्मदण्ड उठाया और उसका प्रहार शनि पर कर दिया. शनि यह भीषण प्रहार सहन करने में असमर्थ थे. वह भागने लगे किंतु कही मार्ग ही न मिलता था. जहां जाते ब्रह्मदंड आता दिख जाता. ब्रह्मदण्ड ने उनका तीनों लोकों में पीछा करना शुरू किया. ब्रह्माजी ने सुझाव दिया कि शिवजी ही इससे रक्षा कर सकते हैं. शनिदेव ने भागकर शिवजी की शरण ली.
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उन्होंने शिवजी को पुकारना शुरू किया तो शिवजी प्रकट हुए.
शिवजी ने पिप्पलाद को समझाया- शनि ने सृष्टि के नियमों का पालन किया है. इसमें शनि का कोई दोष नहीं है. शिवजी के कहने पर पिप्पलाद ने शनि को क्षमा कर दिया. शनि ने भी कहा कि वह चौदह वर्ष की आयु के जातकों को अपनी साढ़े साती से मुक्त रखेंगे.
तब पिप्पलाद ने कहा- जो व्यक्ति इस कथा का ध्यान करते हुए पीपल के नीचे शनि देव की पूजा करेगा. उसके शनि जन्य कष्ट दूर हो जाएंगे.
धर्मदंड बिनादंड दिए जा नहीं सकता था. पिप्पलाद ने उसकी मारक क्षमता कम कर दी. ब्रह्मदंड ने शनि के पैर पर प्रहार किया और लौट गया. पिप्पलेश्वर महादेव की अर्चना शनि जनित कष्टों से मुक्ति दिलाती है. पीपल की उपासना शनिजन्य कष्टों से मुक्ति पाने के लिए की जाती है.
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शनि पीड़ा से पीड़ित लोगों को सात शनिश्चरी अमावास्या को या सात शनिवार पीपल की उपासना कर उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए. इससे कष्ट से राहत मिलती है. शनिवार को पीपल पर जल व तेल चढ़ाना, दीप जलाना, पूजा करना या परिक्रमा लगाना अति शुभ होता है. परंतु रविवार को पीपल पूजा से बचना चाहिए.
रविवार को पीपल का स्पर्श क्यों नहीं करना चाहिए. अगले पेज पर जानिए.
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शुभ वचनों के लिए आपका हृदय से आभार।
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Ram Ram