“अश्वत्थो देव सदन:-अथर्ववेद ” समस्त देवताओं का वास पीपल में है. अथर्ववेद में पीपल के पेड़ को देवताओं का निवास स्थान बताया गया है. भारतीय लोकजीवन में पीपल के पेड़ को देवता समान पूज्य माना गया है. क्यों पीपल का पेड़ हिंदू धर्म में इतना पूजनीय है.
पीपल की छाया तप, साधना के लिए ऋषियों का प्रियस्थल माना जाता था. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पीपल वृक्ष का पालन पुत्र समान किया जाता है. उसका उपनयन संस्कार यानी जनेऊ भी किया जाता है. मान्यता है कि इससे परिवार के किसी सदस्य की अकाल मृत्यु टाली जा सकती है.
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पोस्ट में आपको क्या-क्या जानकारी मिलेगी-
- विशेष मनोकामनाओं के लिए कैसे करें पीपल की पूजा?
- पीपल की पूजा से शनि प्रकोप की शांति क्यों होती है?
- किस दिन पीपल की पूजा करने का अर्थ है घर में दरिद्रता को निमंत्रण.
- किस दिन पीपल को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए, पीपल काटने का उचित दिन कौन सा है और क्यों?
- तंत्र क्रियाओं में पीपल का कितना महत्व है?
- पीपल के वे प्रयोग जिनसे आप विभिन्न ग्रहों को प्रसन्न कर सकते हैं.
- पिप्पलेश्वर महादेव कौन हैं?
स्कन्दपुराण में आता है अश्वत्थ यानी पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं. भगवान कृष्ण कहते हैं- अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां अर्थात् समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूं. पीपल की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना से सम्पूर्ण देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं.
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विशेष कामनाओं के लिए कैसे करें पीपल वृक्ष की पूजाः
— मंगल मुहूर्त में पीपल के वृक्ष को लगाकर आठ वर्षो तक पुत्र की भांति उसका लालन-पालन करना चाहिए.
— पीपल वृक्ष का आठ वर्षों तक पालन करके उसका उपनयन संस्कार या जनेऊ करने से परिवार के किसी व्यक्ति की अकालमृत्यु टाली जा सकती है.
— उपनयन संस्कार किए हुए पीपल वृक्ष की विधि-विधान से नित्यपूजा से अक्षय लक्ष्मी मिलती हैं.
— पीपल वृक्ष की रोज तीन परिक्रमा करने और जल चढाने पर दरिद्रता, दु:ख और दुर्भाग्य का विनाश होता है. रविवार को जल नहीं चढ़ाना चाहिए.
— शनिवार की अमावस्या को पीपल वृक्ष के पूजन और सात परिक्रमा करने, काले तिल से युक्त सरसों तेल का दीपक जलाकर छायादान से शनि पीडा से राहत मिलती है.
— शनि प्रकोप से राहत के लिए हर शनिवार शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसो तेल का दीपक जलाना चाहिए. कुछ देर वृक्ष के नीचे बैठकर शनिदेव का ध्यान करने से वह प्रसन्न होते हैं.
— यदि शत्रु बहुत परेशान कर रहे हैं तो पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर हनुमद् शत्रुंज्य स्तोत्र का नियम से पाठ करें. इससे शत्रु नष्ट होते हैं. जो अनिष्ट शत्रु आपका करने का प्रयास करते हैं वही अनिष्ट उनके साथ होने लगता है. यह आजमाया हुआ प्रयोग है और शत-प्रतिशत लाभ देता है. हनुमद् शत्रुंज्य स्तोत्र प्रभु शरणम् ऐप्प के हनुमान शरणम् मंत्र सेक्शन में है. आप वहां से पढ़ सकते हैं. ऐप्प नीचे इस लिंक से डाउनलोड कर लें-
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— सायंकाल पीपल के नीचे मिट्टी के दीपक को सरसों तेल से प्रज्ज्वलित करने से दुःख व मानसिक कष्ट दूर होते है.
— पीपल की परिक्रमा सुबह सूर्योदय से पूर्व करने से अस्थमा रोग में राहत मिलती है.
— पीपल के नीचे बैठ कर ध्यान करने से ज्ञान की वृद्धि हो कर मन सात्विकता की ओर बढता है.
— यदि ग्यारह पीपल के वृक्ष नदी के किनारे लगाए जाय तो समस्त पापों का नाश होता है.
— ग्यारह नवनिर्मित मंदिरों में शुभ मुहूर्त में पीपल वृक्ष लगाकर चालीस दिनों तक इनकी सेवा या देखभाल (कहीं सूख ना जाये) करें. ऐसे व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती. जब तक वह जीवित रहता है तब तक उसके परिवार में भी अकाल मृत्यु नहीं होती.
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