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परशुराम की मातृ-पितृ भक्ति देखकर देवों ने पुष्पवर्षा की. जमदग्नि ने वरदान देते हुए कहा- पुत्र! तुम्हारा पृथ्वी पर आगमन पूर्वनियोजित था. आज जो हुआ वह देवताओं के आग्रह पर तुम्हारी परीक्षा लेने के लिए हुआ जिसमें तुम सफल रहे.
परशुराम की कथा को आगे बढ़ाते हुए कल चर्चा करेंगे कि जिस रहस्य से संसार में बहुत कम लोग परिचित थे, उसे एक क्रूर शिकारी कैसे जानता था. कौन था वह शिकारी? कोई असुर, दिक्पाल या स्वयं शिव… यह प्रसंग कल
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