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फिर जमदग्नि ने राम को बुलाया और माता के वध का आदेश दिया. परशुराम इससे दुखी तो थे किंतु माता ने उन्हें हमेशा यह सिखाया था कि पिता का आदेश ईश्वर का आदेश होता है.
राम ने आज्ञा का पालन करते हुए माता रेणुका का सिर काट डाला. जमदग्नि पुत्र की पितृभक्ति से बड़े प्रसन्न हुए. उन्होंवे आज्ञा की अवहेलना करने वाला चारों पुत्रों को जड़ हो जाने का शाप दे दिया और राम से वरदान मांगने को कहा.
राम ने पिता से तीन वर मांगे- पहला वर कि माता जीवित हो जाएं और उन्हें अपने मरने की घटना का बिल्कुल स्मरण न रहे. दूसरा वर कि उनके चारों भाई पुनः चेतन हो जाएं. तीसरा, मैं युद्ध में किसी से परास्त न होता हुआ दीर्घजीवी रहूं.
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