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एक बार की बात है जगदग्नि कोई यज्ञ कर रहे थे. यज्ञ के लिए नदी के पवित्र जल की आवश्यकता हुई. उन्होंने रेणुका को यज्ञ के लिए जल लाने नदी भेजा. रेणुका नदी पर पहुंची और जल भरने लगी.

दैवयोग से गंधर्वराज चित्ररथ अपनी अप्सराओं के संग नदी में जलक्रीड़ा कर रहे थे. रेणुका का ध्यान उस ओर गया तो वह उस जलक्रीडा देखने में मगन हो गईं. उनके मन में आसक्ति उत्पन्न हुई और वह कल्पना में खो गईं.

इस सब में हवन का शुभ मुहूर्त बीत गया. जब रेणुका की तंद्रा टूटी तो वह जल लेकर आश्रम आईं. विलंब के कारण जमदग्नि का क्रोध सारी सीमाएं लांघ गया था.

जमदग्नि ने बारी-बारी से अपने प्रत्येक पुत्र को बुलाया और आदेश दिया कि वे अपनी माता रेणुका का सिर काट दें. रुक्मवान, सुखेण, वसु और विश्वानस ने माता के प्रेम में पिता की आज्ञा मानने से मना कर दिया.
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