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देवता ने कहा- इच्छा पर विजय प्राप्त करने से ही आप महान हुए. भगवान और आपके बीच की एक ही बाधा थी, आपकी अनंत इच्छाएं. उस बाधा को खत्मकर आप पवित्र हुए. मुझे भगवान ने भेजा है. इसलिए आप कुछ न कुछ स्वीकार कर हमारा मान रखें.

संत ने बहुत सोच-विचारकर कहा- मुझे वह शक्ति दीजिए कि यदि मैं किसी बीमार व्यक्ति को स्पर्श कर दूं तो वह भला-चंगा हो जाए. किसी सूखे वृझ को छू दूं तो उसमें जान आ जाए. देवता ने वह वरदान दे दिया.

संत ने रूककर कहा- मैं अपने वरदान में संशोधन चाहता हूं. बीमार व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ और वृक्ष को जीवन मेरे छूने से नहीं मेरी छाया पड़ने से ही हो जाए और मुझे इसका पता भी न चलें.

देवता ने पूछा- किसी को स्पर्श करने में कोई शंका है? संत ने कहा- बिल्कुल नहीं परंतु मैं नहीं चाहता कि यह बात फैले कि मेरे स्पर्श से लोगों को लाभ होता है.

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