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महात्माजी ने कहा- तुम इतने मूर्ख कैसे हो सकते हो? तुमने यह क्यों नहीं समझा कि भगवान तुम्हें उस शेर की तरह बनते देखना चाहते थे जो लाचारों के भोजन का प्रबंध करें. लोमड़ी की तरह नहीं जो दूसरों की दया पर आश्रित हो.

ईश्वर ने हर व्यक्ति के अंदर कोई न कोई ऐसा गुण दिया है जिससे वह संसार के लिए ज्यादा उपयोगी हो सकता है. उन गुणों को पहचानकर उसका सही प्रयोग करने की जरूरत है. अन्यथा ईश्वर हमें शेर की तरह समर्थवान बनाना चाहेगा लेकिन हम बन जाएंगे लोमड़ी की तरह आश्रित.

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