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जो प्रेत संतप्तक को मारकर उसका मांस खाने को लड़ रहे थे, अचानक उन्होंने उसे छोड़ दिया और फिर प्रणाम करके प्रदक्षिणा करने लगे. इससे संतप्तक आश्चर्य में था.

संतप्तक ने पांचों प्रेतों से उनके प्रेत बनने के कारण और विचित्र नामों का रहस्य पूछा तो प्रेतों ने बारी बारी से बताना आरंभ किया. सबसे पहले पर्युषित बोला.

आप विद्वान हैं अत: यह तो जानते ही हैं कि पर्युषित बासी भोजन को कहते हैं. मैने श्राद्ध के समय एक ब्राह्मण का अपने घर न्योता दिया था. ब्राह्मण बहुत वृद्ध था. मार्ग में धीरे धीरे चलने के कारण कुछ विलंब से मेरे घर पहुंचा.

मुझे सुबह से ही भूख लग रही थी. मैं अपनी भूख को सह नहीं पाया. मैंने न तो ब्राह्मण की प्रतीक्षा की, न ही कोई श्राद्ध कार्य किया. भूख से बेचैन होकर मैंने श्राद्ध हेतु बने भोजन को चुपके से खा लिया.

विलंब से पहुंचे ब्राह्मण के लिए कुछ भी नहीं बचा था. मैंने चालाकी से पर्युषित यानी बासी भोजन उसे खिला दिया. जानबूझ कर किए इसी पाप से मुझे इस प्रेत योनि की प्राप्ति हुयी. ब्राह्मण को पर्युषित भोजन देने के कारण मेरा यह नाम पडा.

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