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नल की पहचान असंभव लगने लगी तो दमयंती ने उन्हीं देवों की मदद मांगी. उसने हाथ जोड़कर देवताओं की स्तुति की.
दमयंती ने कहा- हे मेरे आराध्य देवताओं, हे लोकपालों हंसों के मुंह से राजा नल का वर्णन सुनकर मैंने उन्हें पतिरूप में वरण कर लिया है. मैं नल के अतिरिक्त किसी और से विवाह की सोच भी नहीं सकती. आप लोग अपना रूप प्रकट कर दें, जिससे मैं राजा नल को पहचान लूं. मेरी श्रद्धा मेरी भक्ति की लाज रखें देव.
देवता दमयन्ती के अटूट प्रेम से प्रसन्न हो गए. वे अपना रूप सबके सामने तो बदल नहीं सकते थे. इसलिए दमयंती को ऐसी शक्ति दी जिससे वह देवता और मनुष्य में अंतर कर सके.
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दमयंती ने नल को पहचान कर उनका वरण किया. इस तरह राजा नल और दमयन्ती का विवाह हो गया. नल वचन के पालन के लिए अपने प्रेम के त्याग को तैयार हुए थे. इससे प्रसन्न देवताओं ने राजा नल को भी कई वरदान दिए.
इंद्र ने वरदान दिया- मैं तुम्हें यज्ञ में प्रत्य दर्शन देकर सद्गति प्रदान करुंगा.
अग्नि ने कहा- राजा नल तुम जहां चाहोगे मैं वहां प्रकट हो जाउंगा.
धर्मराज ने कहा- तुम्हारी धर्म में निष्ठा बनी रहेगी और तुम्हारे पकाए भोजन में उत्तम स्वाद होगा.
वरुण बोले- तुम्हारी इच्छानुसार जल प्रकट हो जाएगा. तुम्हारी पुष्पमालाओं में दिव्य सुगंध होगी जिनका कभी नाश नहीं होगा.
उत्तम वरदान देकर देवता अपने-अपने लोकों की ओर चले पर होनी तो कुछ और ही थी.
देवता अपने लोक की ओर चले. मार्ग में देवताओं की भेंट कलयुग और द्वापर से हो गई. इन्द्र ने कलयुग से पूछा कि कहां जा रहे हो?
कलियुग ने कहा- मैं दमयन्ती के स्वयंवर में उससे विवाह के लिए जा रहा हूं.
इन्द्र ने बताया कि स्वयंवर पूरा हो गया है. दमयन्ती ने राजा नल का वरण कर लिया है. हम लोग देखते ही रह गए. यह सुनकर कलयुग बड़ा क्रोधित हुआ.
आवेश में आकर वह बोला- उसने देवताओं की उपेक्षा करके मनुष्य को अपनाया. इस बात का दमयंती को दंड मिलना चाहिए.
देवताओं ने कहा- दमयंती ने हमारी आज्ञा लेकर ही नल का वरण किया है. वास्तव में नल सर्वगुण सम्पन्न और उसके योग्य हैं. वह धर्मपरायण और वेदों के ज्ञाता हैं. उन्हें शाप देना नरक में धधकती आग में गिरने समान है.
कलयुग ने द्वापर से कहा- मैं अपने क्रोध को शान्त नहीं कर सकता. इसलिए मैं नल के शरीर में निवास करूंगा. मैं उसे राज्यविहीन कर दूंगा तो वह दमयंती के साथ नहीं रह सकेगा. द्वापर तुम जुए के पासों में प्रवेश करके इस कार्य में मेरी सहायता करना.
द्वापर, कलियुग की बातों में आ गया.
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