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दमयन्ती ने कहा- हंस, तुम राजा नल के पास जाओ और उन्हें मेरी ओर से भी ऐसी ही बात कहना. उनसे कहना कि तुम्हारे मुख से प्रशंसा सुनकर मैं उनसे प्रभावित हूं. हंस ने राजा नल को दमयंती का संदेश दिया. हंस फिर आए और नल दमयंती के संदेशों का आदान-प्रदान किया. हंसों ने नल दमयन्ती में प्रेम करा दिया.

नल के प्रेम में डूबी वह रात दिन उनका ध्यान करती. शरीर धूमिल और दुबला हो गया. सहेलियों ने राजा से दमयंती के स्वास्थ्य के बारे में बताया. राजा को पुत्री के विवाह की चिंता हुई. दमयन्ती के स्वयंवर का आयोजन हुआ.

सभी राजाओं के साथ-साथ इन्द्र और समस्त लोकपाल भी स्वयंवर के लिए चल पड़े. राजा नल को भी निमंत्रण मिला और वह चल पड़े. नल के रूप को देखकर इंद्र ने रास्ते में अपना विमान रोक लिया. सभी देवता नल की वहीं प्रतीक्षा करने लगे.

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इंद्र देवताओं समेत रथ से उतरकर आए और नल से अनुरोध किया- राजा नल आप बड़े सत्यव्रती हैं. हमें आपकी सहायता चाहिए. आप हमारी सहायता का वचन दें. आपको हमारा दूत बनकर किसी तक संदेश पहुंचाना होगा.

उनके आग्रह को देखकर नल ने वचन दे दिया, फिर पूछा कि आपसब कौन हैं?

इन्द्र ने कहा- हम देवतागण हैं. हम दमयन्ती के लिए यहां आएं हैं. आप हमारे दूत बनकर दमयन्ती के पास जाइए. दमयंती से कहिए कि इन्द्र, वरुण, अग्रि और यम तुमसे विवाह की इच्छा रखते हैं. इनमें से किसी को अपना पति स्वीकार लो.

नल ने हाथ जोड़कर कहा- आप जिस प्रयोजन से जा रहे हैं, मैं भी उसी प्रयोजन से जा रहा हूं. इसलिए मेरा दूत बनना उचित नहीं. किसी स्त्री को पत्नी के रूप में पाने की जिसकी स्वयं इच्छा हो चुकी हो वह भला उसे कैसे छोड़ सकता है! आप जगतपूज्य देवों को तुच्छ मानव को ठगने में दया नहीं आयी? मैं मनुष्य हूं, आपसब देव. मैं अत्यन्त तुच्छ आपसब श्रेष्ठ. फिर भी आपका यह आचरण मुझे समझ नहीं आया. मुझे क्षमा करें, मैं आपके काम नहीं आ सकता.

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देवताओं ने नल को याद कराया- तुम क्षत्रिय राजा हो. तुमने दूत बनने का वचन दिया है. वचन से पीछे हटकर आप कुल को कलंकित करेंगे. यह आपको शोभा न देगा राजा नल. क्षत्रिय धर्म की रक्षा के लिए वचन को पूरा करो. अविलम्ब दमयंती के पास जाकर हमारा संदेश दो.

मन मसोसकर नल दूत बनने को राजी हुए. इंद्र के प्रभाव से नल अदृश्य रूप में दमयंती के पास पहुंच गए. दमयन्ती और उसकी सहेलियां नल को देखकर मुग्ध हो गईं पर लज्जावश कुछ बोल न सकीं.

नल ने दमयंती से कहा- मैं नल हूं. लोकपालों का दूत बनकर तुम्हारे पास आया हूं. सुन्दरी ये देवतागण तुमसे विवाह करना चाहते हैं. इनमें से किसी देवता को विवाह के लिए चुन लो. मैंने देवताओं का संदेश कह दिया. अब आपको उत्तर में जो उचित लगे वह कहें, वह करें.

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