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एक दिन पिंजरे की सफाई करते समय शिष्य पिंजरे के दरवाजा बंद करना भूल गया. सन्त कुटी में आए तो देखा कि तोता पिंजरे के बाहर बड़े आराम से घूम रहा है और ऊंचे स्वर में संत की सिखाई बात रट रहा है- “पिंजरा छोड़ दो, उड़ जाओ.”
तोते ने सन्त को आता देखा तो फिर से पिंजरे के अंदर चला गया और फिर से रटना शुरू कर दिया- “पिंजरा छोड़ दो, उड़ जाओ.” सन्त को यह देखकर आश्चर्य तो हुआ ही साथ ही दुःख भी हुआ.
वह सोचते रहे कि इस तोते ने केवल शब्द को ही रट लिया. यदि इसे इन शब्दों का अर्थ और रहस्य पता होता तो यह इस समय इस पिंजरे से स्वतंत्र हो गया होता.
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