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भगवान श्रीराम यह वरदान देकर चले गए. त्रिकुटा श्रीराम से मिले इस वचन से अत्यंत प्रसन्न थीं. उन्होंने प्रभु के आदेशानुसार संसार के कल्याण का संकल्प लिया.
त्रिकुटा उत्तरी भारत के माणिक पर्वत शृंखला की तीन पहाड़ों वाले त्रिकूट पर्वत पर तप के लिए आ गईं. वही माता वैष्णों देवी के नाम से विराजमान हैं.
श्रीहरि का वरदान होने के कारण वैष्णों माता भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इसलिए माता का स्वरूप कुंआरी का है. वह श्रीहरि के कल्कि अवतार की प्रतीक्षा कर रही हैं. उस अवतार के बाद भगवान उन्हें स्वीकारेंगे और संभव है माता वैष्णो देवी को किसी अन्य धाम पर भी स्थान दें और उन्हें कुछ अन्य दायित्व भी दें. यह कथा लोकश्रुति पर आधारित है और दक्षिण भारत की बहुत प्रसिद्ध लोकश्रुति है.
माता वैष्णो देवी के श्रद्धापूर्वक भक्ति के साथ आने वाले भक्तों की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है. माता के मंदिर में ही ऊपर भैरवनाथ की गुफा है. यह भैरवनाथ शिवस्वरूप भगवान भैरव नहीं है बल्कि एक अघोर हठी साधु भैरवनाथ हैं. भैरवनाथ को नाथपंथ का साधक भी माना जाता है. उसी नाथपंथ का साधक जिससे योगी आदित्यनाथ आते हैं.
नाथपंथी भी शिवजी के अंश से निकले हैं. नाथपंथी साधुओं की कथा की शृंखला हमने प्रभु शरणम् ऐप्प में चलाई थी. इसे पुनः शुरू करेंगे. आप प्रभु शरणम् ऐप्प से तत्काल जुड़ जाएं. प्रभु शरणम् ऐप्प का लिंक इस पोस्ट में हर पेज पर दिया गया है.
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To fir bhaironath aur dhyanu bhagat ki story, Galat hai.
ऐसा नहीं कहा हमने… मां की लीला तो मां ही जानें…यह कथा एक प्रसिद्ध कथा है. जो मैंने अंत में लिखा भी है. भैरवनाथ की बात भी पोस्ट के अंत में है और आप जो प्रसंग कह रहे हैं उसका भी वर्णन आएगा..
Ma ka kripa sadaeba meray Paribar per rahay .jai Mata Dee
ज्ञान वर्धक
Your Comment JAY MATA DI. JAY MAA. SABHI BHAKTO PE KRIPA DRISHTI RAKHNA MATA. JAY HO.