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ब्रह्महत्या की अग्नि से पीड़ित भैरव वहां से चले. भैरव ब्रह्माजी के कटे कपाल को धारण कर तीनों लोकों में भागते रहे लेकिन वह जहां भी जाते ब्रह्महत्या उनका पीछा करती पहुंच जाती.

भैरव का मन संताप से भर गया. ब्रह्महत्या के ताप से भैरव काले पड़ गए. उन्होंने महादेव से मुक्ति का मार्ग पूछा. भगवान शिव ने कहा- भैरव, तुम काशी जाओ. काशी मेरे द्वारा रक्षित है. वहां ब्रह्महत्या नहीं घुस सकती.
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