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रूक्मी जब भी बलरामजी के सामने पड़ता खुद को नीचा महसूस करता था. अनिरूद्ध के विवाह में सभी वीर राजागण आमंत्रित थे. रूक्मी के साथ बहुत से अन्य राजा भी आए जो श्रीकृष्ण से द्वेष रखते थे लेकिन उनके भय से कुछ बोल नहीं पाते थे.

रूक्मी के मन में बलरामजी के प्रति अपमान और प्रतिशोध की बात कलिंग नरेश को पता थी. उसने इसे उचित अवसर के रूप में देखा और रुक्मी को उसकाया कि तुम्हें बलराम के साथ आज अपमान का बदला लेने का मौका मिल सकता है.

रूक्मी यह सुनकर खुश हो गया और उसने कलिंग नरेश से इसका तरीका पूछा. कलिंगराज ने कहा- विवाह में चौपड़ खेलने की परंपरा है. बलराम वर के दादा हैं. यदि तुम उन्हें चौपड़ खेलने का निमंत्रण दो तो वह ठुकरा नहीं सकते.

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