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गोपाल बोले—‘माँ! मैंने मिट्टी नहीं खायी, सब झूठ बोल रहे हैं. चाहो तो मेरा मुँह देख लो. यशोदाजी ने कहा- मुँह खोल. भगवान श्रीकृष्ण ने अपना मुँह खोल दिया.
यशोदाजी ने देखा कि उनके मुख में सम्पूर्ण जगत समाया हुआ है, आकाश, पहाड़, द्वीप और समुद्रों के सहित सारी पृथ्वी, ग्रह-गोचर, चन्द्रमा और तारों के साथ सबकुछ उसमें डोल रहा है.
वह बड़ी शंका में पड़ सोचने लगीं कि ‘यह स्वप्न है या भगवान की माया? श्रीकृष्ण ने जल्द ही अपना मुंह बंद कर लिया और मोहक मुस्कान बिखेरते हुए बोले, दिखी कहीं मिट्टी?
मां यशोदा पर कृष्ण की मोहक मायावी मुस्कान का असर था या मां की ममता का प्रभाव. यशोदा ने कन्हैया को गले से लगा लिया और बोलीं- तू जो कहे वही सच्चा बाकी सब झूठ.
कृष्ण ने मिट्टी क्यों खाई, इसके पीछे बड़े गहरे राज हैं. आप कहेंगे ये तो बच्चों का स्वभाव है वे एक खास उम्र में मिट्टी खाते ही हैं. पर भगवान की लीला इतनी आसान दिखती भले हो पर होती नहीं. क्या बारह कारण हो सकते हैं-
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