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भैंसे रूपी शिवजी का अंगों के आधार पर केदारनाथ धाम में पांच स्थानों की पूजा का विधान है. केदारनाथ प्रमुख तीर्थ में भैंसे की पीठ के रूप में, मध्य महेश्वर में नाभि के रूप में.
तुंगनाथ में भुजाओं और हृदय के रूप में. रुद्रनाथ में मुख के रूप में और कल्पेश्वर में जटाओं के रूप में महादेव प्रतिष्ठित और पूजनीय हैं. इन पांचो केदारों के दर्शन के अलावा बूढ़ा केदार के भी दर्शन किए जाते हैं.
शिवमहापुराण में केदारनाथ की ऊपर कही कथा आती है. केदारनाथ की एक महात्म्य कथा श्रीहरि के अवतार भगवान नर-नारायण से भी जुड़ी है. स्कंदपुराण में केदारनाथ से जुड़ी एक अन्य कथा है. ये दोनों कथाएं आपको कल विस्तार से सुनाएंगे.