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शिव द्वारा रचित यह पंचक्रोशी क्षेत्र लोक का कल्याण करने वाला, कर्मबन्धनों से मुक्ति देकर मोक्ष प्रदान करने वाला है. ब्रह्माजी के एक दिवस पूरे हो जाने पर यह संसार प्रलयजल में समा जाता है.
फिर भी अविमुक्त काशी क्षेत्र का नाश नहीं होता है, क्योंकि उसे भगवान परमेश्वर शिव अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं. ब्रह्माजी जब नई सृष्टि प्रारम्भ करते हैं तब भगवान शिव काशी को पुन: भूतल पर स्थापित करके इसका अस्तित्व बनाए रखते हैं.
काशी के श्रीविश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग स्वयं महादेव द्वारा स्थापित है इसलिए इसे श्रेष्ठ शिवधाम माना जाता है. स्कंद पुराण में काशी तीर्थ की एक कथा है जो स्कंद ने अगस्त्य मुनि को सुनाई थी. महादेव ने अपने प्रिय नगर की रक्षा के लिए भैरव को नगर का अधिकारी बनाया है. ये कथाएं आपको कल सुनाएंगे.
संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्