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एक मकड़ी थी. उसने सोचा क्यों न एक ऐसा शानदार जाला बुना जाए जिसमें खूब कीड़े, मक्खियाँ फसें. उनको खाकर वह मजे का जीवन बिताए.
मकड़ी ने कमरे का एक कोना पसंद किया. वहां जाला बुनना शुरू किया. थोड़ी देर बाद आधा जाला बनकर तैयार हो गया. मकड़ी काफी खुश थी. तभी उसने देखा कि एक बिल्ली उसे देखकर हंस रही है.
मकड़ी को गुस्सा आ गया उसने बिल्ली से पूछा- हँस क्यो रही हो? बिल्ली बोली- हंसू नहीं तो क्या करूं. यहाँ मक्खियाँ नही तो हैं नहीं, जगह साफ सुथरी है. यहाँ कौन आयेगा तेरे जाले में जिसे तू खाएगी.
यह बात मकड़ी के दिमाग में जम गई. उसने इतनी अच्छी सलाह देने के लिए बिल्ली को धन्यवाद दिया और जाला अधूरा छोड़कर दूसरी जगह तलाश करने लगी.
उसने इस बार एक खिड़की पसंद की और उसमें जाला बुनना शुरू किया. कुछ देर तक वह जाला बुनती रही. आधा जाला बन चुका कि तभी एक चिड़िया आयी.
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