सीखने की कोई उम्र नहीं होती, ज्ञान कभी पूर्ण नहीं होता. जिज्ञासु ही संसार में सफल होते हैं. काम की बात जहां मिले, ग्रहण कर लें. आपके लिए सीखने योग्य काम की तीन बातें.
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सीखने के लिए यह जीवन थोड़ा है. यह कथा नहीं काम की बात है, जो आपको प्रेरित करेगी. किसी को प्रेरित करने की राह दिखाएगी. आइए छोटी सी कथा से जानें कुछ काम की बात, कुछ व्यवहारिक सीख.
बहुत समय पहले की बात है. सुदूर दक्षिण में किसी प्रतापी राजा का राज्य था. राजा के तीन पुत्र थे. तीनों होनहार थे. राजकाज में कुशल तो थे पर राजा को उन्हें व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करने की धुन रहती थी. एक अच्छे पिता को ऐसा करना भी चाहिए.
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एक दिन राजा के मन में आया कि पुत्रों को को कुछ ऐसी शिक्षा दी जाये कि समय आने पर वे राज-काज सम्भाल सकें.
इसी विचार के साथ राजा ने सभी पुत्रों को दरबार में बुलाया और बोला- “पुत्रों, मुझे सूचना मिली है कि हमारे राज्य में नाशपाती का कोई वृक्ष नहीं है. नाशपाती जैसे औषधीय गुण वाला वृक्ष हमारे राज्य में न हो, यह तो अच्छी बात नहीं. मैं चाहता हूँ तुम सब चार-चार महीने के अंतराल पर एक-एक करके नाशपाती के वृक्ष की तलाश में जाओ. पता लगाकर आओ कि कैसा होता है नाशपाती का पेड?”
राजा की आज्ञा पाकर तीनों पुत्र चार-चार महीने के अंतराल पर बारी-बारी से नाशपाती का पेड़ खोजने गए और अपनी खोजबीन करके वापस भी लौट आये.
साल भर बाद जब तीनों पुत्र नाशपाती के पेड़ की खोज का कार्य पूरा कर चुके तो राजा ने पुनः सभी को दरबार में बुलाया. राजा ने तीनों को बारी-बारी से नाशपाती के पेड़ के रंग-रूप, आकार प्रकार, फल-फूल का वर्णन करने को कहा.
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तीनों ने पेड़ के बारे में बताना शुरू किया. सबसे पहले सबसे बड़े राजकुमार को बोलने का अवसर मिला.
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उपरोक्त कथा शिक्छाप्रद है.