हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[fblike]
जनक फिर भी तैयार हो गए. उन्होंने अपने पुण्य देकर पापियों को मुक्त करने को कहा. सभी पापी पापमुक्त हो गए. स्वयं धर्मराज राजा जनक की अगवानी करने वहां पधारे.
उन्होंने कहा- आप धन्य हैं. आपके पुण्य अक्षुण्ण हैं. उसके फल से ऐसे अनंत पापियों का उद्धार हो जाएगा. यह तो बस एक छोटी सी परीक्षा थी. आप स्वर्गलोक की ओर चलें.
पापियों को मुक्ति दिलाकर जनक स्वर्ग की ओर चले. उन्होंने धर्मराज ले पूछा- मैंने कौन सा ऐसा पाप किया था जिसके कारण मुझे नरकलोक के दर्शन हुए और कुछ पल रूकना पड़ा?
धर्मराज ने कहा- संसार में आपके पुण्यों की बराबरी करने वाला कोई नहीं हैं पर आपने एक बार चूक से ही छोटा-सा पाप किया था. आपने एक बार एक गाय को घास खाने से रोका था. उसी के दंडस्वरूप यहां आना पड़ा.
अब आप पूर्णतः दोषमुक्त हैं और स्वर्गलोक का अक्षयकाल तक भोग करने के अधिकारी हैं.
संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्
लेटेस्ट कथाओं के लिए प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प डाउनलोड करें।
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
मित्रों, आप भी प्रभु शरणम् एप्प/वेबसाइट में कथाएं लिख सकते हैं. कथाएं भक्तिमय और प्रभु शरणम् के अनुरूप होनी चाहिए. कथा askprabhusharnam@gmail.com पर मेल से या 9871507036 पर Whatsapp से भेज सकते हैं.
भक्तिमय कथाओं के अतिरिक्त अऩ्य कथाओं या किसी भी तरह के लेख को प्रकाशित नहीं किया जाएगा.
कहानी पसंद आई तो हमारा फेसबुक पेज https://www.facebook.com/PrabhuSharanam जरूर लाइक करें. हम ऐसी कहानियां देते रहते हैं. पेज लाइक करने से ये कहानियां आप तक हमेशा पहुंचती रहेंगी और आपका आशीर्वाद भी हमें प्राप्त होगा. [fblike]