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रैक्व ने समझाया- क्या तुम इन सांसारिक वस्तुओं से ब्रह्मज्ञान ख़रीद सकते हो? अरे मूर्ख यह सब तुच्छ हैं. ईश्वरीय ज्ञान के समक्ष इनकी कोई महत्ता नहीं है. ये सब नाशवान हैं. इनका मोह त्यागो तभी ज्ञान प्राप्त कर सकते हो.

राजा की आंख खुल गई. वह चुपचाप हाथ-जोड़ कर अपने अभिमान को त्यागकर, महात्मा रैक्व के सामने पृथ्वी पर ही बैठ गया. रैक्व को भरोसा हो गया कि इसका अभिमान समाप्त हो गया है.

महात्मा रैक्व ने जनश्रुति को ज्ञान का उपदेश दिया. जिसे प्राप्त कर राजा का जीवन धन्य हो गया. जनश्रुति महान ज्ञानी महात्मा के नाम से प्रसिद्ध हुए.

(श्वेताश्वरोपनिषद की कथा)

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

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