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कुबेर ने अपने हाथों से पानों का बीड़ा सजाकर पूरी थाली गणेशजी के सामने रख दी. क्रोध में गणेशजी उसे गटक गए और भोजन की मांग करने लगे.

बजाय और भोजन का प्रबंध करने के कुबेर चुपचाप हाथ जोड़ खड़े हो गए. गणेशजी कुबेर को दबोचने के लिए बढ़े तो ब्रह्माजी ने टोका.

ब्रह्माजी ने कहा- गजानन शास्त्रों के अनुसार अब आपका भोजन पूर्ण हो चुका. पान तो मुखशुद्धि है जो भोजने के बाद ग्रहण किया जाता है. आपने तो पान भी खा लिया. कुबेर को आप क्षमा कर अभयदान दें.

कुबेर ब्रह्माजी का संकेत मिलते ही गणेशजी के पांव में लोट गए. ब्रह्मा के वचनों से गजानन का क्रोध शांत हो गा था. उन्होंने कुबेर को क्षमा कर दिया.

गजानन ने कुबेर को आशीर्वाद दिया कि मेरे आशीर्वाद से कभी तुम्हारा कोष खाली नहीं होगा. जिस प्रयोजन में तुम्हारा आह्वान किया जाएगा वह मेरे आशीर्वाद से निर्विघ्न रहेगा.

संकलन व संपादनः प्रभु शरणम्

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