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उन्होंने कौंच को शाप दिया- तूने चोर की तरह मेरी पत्नी का हरण करना चाहा है, तू मूषक बन जा. तुझे धरती के भीतर छुपकर रहना पड़े और चोरी करके अपना पेट भरेगा.

क्रोंच, मुनि के चरणों में गिरकर माफी मांगने लगा- कामदेव के प्रभाव से मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई इसलिए मैंने ऐसा अपराध किया. आप दयालु हैं, मुझे क्षमा कर दें.

बार-बार माफी मांगने से ऋषि पसीज गए. ऋषि ने कहा- मेरा शाप व्यर्थ तो नहीं जा सकता लेकिन इसमें सुधार कर देता हूं. इस शाप के कारण तुम्हें बहुत सम्मान मिलेगा.

ऋषि ने कहा- द्वापर में महर्षि पराशर के यहां गणपति गजमुख पुत्ररूप में प्रकट होंगे तब तुम उनके वाहन बनोगे, जिससे देवगण भी तुम्हारा सम्मान करने लगेंगे.

शापग्रस्त क्रोंच चूहा बन गया. उसका शरीर विशालकाय था. उद्दंडता तो उसमें पहले से ही थी. ताकत के कारण वह रास्ते में आने वाली सारी चीज़ें नष्ट कर देता.

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1 COMMENT

  1. यह बहुत ही रोचक कहानी था …..!!! सच मेँ पढके मजा आ गया …..!!!!

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