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हिरणी ने एक बालक को जन्म दिया. हिरणी से उत्पन्न होने के कारण बालक के सिर में सींग जैसी आकृति बनी थी. विभाण्डक अपने अंश से पैदा हुए बालक को उपहास से बचाना चाहते थे. इसलिए उसे लेकर अंग देश के पास घने जंगल में चले आए.
एक बार इंद्र का उपासक एक ब्राह्मण कृषिकार्य में सहायता मांगने रोमपद के पास गया. रोमपद ने अंजाने में उसका उपहास कर दिया. अपने भक्तं के अपमान से इंद्र क्रोधित हुए और बारिश नहीं होने दी. इस कारण वहां सूखा पड़ गया.
पूरे अंग क्षेत्र में बारिश नहीं होती थी लेकिन जहां ऋंगी निवास करते थे वहां खूब बारिश होती थी. राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ. ऋषियों ने बताया कि ऋंगी का प्रभाव ऐसा है कि वह जहां जाते हैं वहां खूब बारिश होती है.
रोमपद ने ऋंगी को किसी तरह अपने राज्य में बुलाने का उपाय लगाने को मंत्रियों को कहा. विभाण्डक ने उन्हें समाज से एकदम अलग रखा था. ऋंगी ने अपने पिता के अतिरिक्त किसी मनुष्य को कभी देखा ही न था.
मंत्रियों ने कहा कि ऋंगी पुरुष से तो परिचित हैं लेकिन स्त्री से उनका परिचय नहीं हैं. इसलिए राज्य की मुख्य नर्तकियों को भेजा गया. नर्तकियां उन्हें नृत्य और सौंदर्य के मोहपाश में बांधकर वन से बाहर ले आईं.
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