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राजा दशरथ ने राजकुमारी कौशल्या से विवाह किया और उनकी एक पुत्री हुई शांता. अंगदेश के राजा चित्ररथ जिनका नाम रोमपद भी था दशरथ के घनिष्ट मित्र थे. रोमपद की पत्नी वर्षिणी कौशल्या की बहन लगती थीं.
रोमपद निःसंतान थे. वह राजा दशरथ से मिलने आए और हंसी-हंसी में में दशरथ से उनकी बेटी को मांग लिया. रघुवंशी होने के कारण दशरथ ने वह वचन निभाया और शांता को रोमपद को दे दिया.
रोमपद और वर्षिणी ने शांता का पालन-पालन पोषण किया. शांता का विवाह विभाण्क ऋषि के पुत्र ऋष्यशृंग जिन्हें ऋंगी भी कहा जाता है से हुआ. ऋंगी का जन्म हिरणी के गर्भ से हुआ था.
विभाण्डक परम तेजस्वी ऋषि थे जो कठोर तप किया करते थे. एक दिन विभाण्डक नदी में स्नान कर रहे थे. तभी नदी में ही उनका वीर्यपात हो गया. पास में जल पी रही एक हिरणी ने उस जल को पी लिया और गर्भवती हो गई.
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