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एक आश्रम को भक्तों ने बहुत सारी गाएं दान की थीं. जल्द ही आश्रम में सैकड़ों गाएं हो गईं. गायों के दूध से जो भी धन मिलता था, उससे आश्रम का संचालन होता था.

एक दिन एक शिष्य गुरूजी के पास पहुंचा और बताया- गुरूजी आश्रम के दूध में पानी मिलाया जा रहा है. आश्रम में बेईमानी की प्रवृति आए यह अच्छा नहीं, इसे रोकेने का प्रयास करना चाहिए.

गुरुजी ने शिष्य से ही पूछा कि क्या करना चाहिए. शिष्य ने सुझाया- क्यों न एक कर्मचारी रख लिया जाए जो दूध की निगरानी करे और मिलावट को रोके. गुरूजी की स्वीकृति से एक कर्मचारी रख लिया.

एक सप्ताह के बाद वही शिष्य गुरूजी के पास फिर से आया और बताने लगा- गुरुजी इस कर्मचारी के रखने के बाद तो मिलावट और बढ़ गई है. गुरूजी ने फिर शिष्य से इसका उपाय पूछा.

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