हमारा फेसबुक पेज लाईक करें.[sc:fb]

वह आश्चर्यचकित हुए कि इस बियाबान में ऐसा ताजा, मीठा और शीतल जल कहां से आया जिसका स्वाद गंगाजल जैसा है. विद्यापति को उगना पर संदेह हो गया कि यह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि स्वयं भगवान शिव ही हैं.

अतः उन्होंने उगना से वास्तविक परिचय पूछा. उगना ने कहानी बनानी शुरू की तो विद्यापति जिद करने लगे. उगना ने भी न स्वीकारने की ठान ली थी.

इस पर विद्यापति ने उगना को हे भोलेनाथ! कहकर पुकारा और उनके पैर पकड़ लिए. उगना छुड़ाता रहा, लेकिन विद्यापति छोड़ते न थे. हारकर उगना को अपने वास्तविक स्वरूप में आना पड़ा.

उगना के स्थान पर स्वयं भगवान शिव प्रकट हो गये. विद्यापति ने स्तुति की. गिले-शिकवे कि हे प्रभु आपसे सेवा कराकर जो पाप लिया है उससे तो जीवन ही नष्ट हो गया.

शिवजी ने कहा मुझे उसमें बड़ा सुख आया. आप दोषमुक्त हैं. फिर बोले – मैं तुम्हारे साथ उगना बनकर ही रहना चाहता हूं लेकिन किसी से मेरा यह रूप मत बताना.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here