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हालांकि शिव पुराण में कथा थोड़ी भिन्न है. शिव पुराण के अनुसार अंबरीश ने दुर्वासा को भोजन कराने से पहले व्रत तोडकर दुर्वासा का अपमान किया. इसलिए दुर्वासा ने अंबरीश को मारने का निर्णय कर लिया.
अंबरीश को बचाने के लिए श्रीहरि ने सुदर्शन चक्र भेजा लेकिन दुर्वासा के रूप में साक्षात शिव को पाकर वह रुक गया. उसी समय आकाशवाणी हुई.
शिवगण नंदी ने कहा- विष्णुभक्त राजा अंबरीश की परीक्षा लेने स्वयं शिवजी आए हैं. इसलिए अगर वह शिवजी से माफी मांग ले तो उसकी प्राण रक्षा हो सकती है. अंबरीश ने ऐसा ही किया और दुर्वासा उसे आशीर्वाद देकर गए.
संकलन व प्रबंधन: प्रभु शरणम् मंडली
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