अब आप बिना इन्टरनेट के व्रत त्यौहार की कथाएँ, चालीसा संग्रह, भजन व मंत्र , श्रीराम शलाका प्रशनावली, व्रत त्यौहार कैलेंडर इत्यादि पढ़ तथा उपयोग कर सकते हैं.इसके लिए डाउनलोड करें प्रभु शरणम् मोबाइल ऐप्प.
Android मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
iOS मोबाइल ऐप्प के लिए क्लिक करें
जब कंस को मालूम हुआ कि पूतना का वध हो गया है तो वह और भयभीत हो गया. उसने अपने निजी रक्षक तृणावर्त राक्षस को श्रीकृष्ण की हत्या करने के लिए भेजा.
तृणावर्त गोकुल में पहुंच गया. प्रभु को इसकी सूचना हो गई. माता यशोदा उन्हें दूध पिला रही थीं. श्रीकृष्ण ने अपना वजन चट्टान सा भारी कर लिया. माता के लिए भार असह्य हो गया.
उन्होंने कन्हैया को आंगन में लिटाया और भीतर चली गईं. तभी तृणावर्त वहां पहुंच गया. तृणावर्त बवंडर बन जाता था और और बड़े-बड़े पेड़ों चट्टानों को उखाड़कर विध्वंस मचा सकता था.
तृणावर्त बवंडर बनकर गया और कन्हैया को अपने साथ ले उड़ा. उसने सोचा कि कन्हैया को खूब आकाश के चक्कर लगाऊंगा और फिर जमीन पर पटककर प्राण ले लूंगा. श्रीकृष्ण ने अपना भार बहुत बड़ा लिया.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.