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श्रीकृष्ण ने हनुमानजी से कहा- आप सूर्यदेव के शिष्य और परमज्ञानी हैं. आप स्वयं अतुलित बलशाली हैं. एक वीर को दूसरे वीर का सम्मान करना चाहिए न कि नीचा दिखाने की कोशिश करनी चाहिए.
हनुमानजी को भी पछतावा हुआ. उन्होंने प्रभु से क्षमा मांगी और अर्जुन से कहा- मैं अपनी भूल का प्रायश्चित करने के लिए महाभारत के युद्ध में तुम्हारे साथ रथ में स्थित होकर रथ को स्थायित्व दूंगा.
महाभारत युद्ध की समाप्ति पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पहले रथ से उतरने का आदेश दिया. श्रीकृष्ण सारथी थे और सारथी, रथस्वामी से पहले उतरता है. प्रतिदिन यही होता था. लेकिन अंतिम दिन श्रीकृष्ण ने उसके उलट आदेश दिया.
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