स्त्री इस धरती पर महामाया जगदंबा का स्वरुप है। महिलाएं माता भवानी के किसी न किसी स्वरुप का प्रतीक होती हैं। स्त्री सौभाग्य का संकेत है। समुद्रशास्त्र से जानें स्त्री के अंग से कैसे जाना जाए कि वह कितनी उत्तम जीवनसाथी होगी.
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एक पुरुष के जीवन पर उसके आस पास रहने वाली स्त्रियों का बहुत गहरा असर पड़ता है। चाहे वो माता, पत्नी, पुत्री या मित्र किसी भी स्वरुप में हो। वैसे तो समस्त स्त्री जाति को ही सौभाग्यशाली और लक्ष्मी का रूप माना जाता है। लेकिन सामुद्रिक शास्त्र, घेरंड संहिता, कई पुराणों में स्त्रियों के अतिरिक्त सौभाग्यशाली लक्षणों के बारे में बताया गया है। स्त्री के अंग उसके विशेष सौभाग्यशालिनी होने के संकेत देते हैं।
अगर स्त्री के अंग में ये लक्षण विशेष रूप से मौजूद हों, तो स्त्रियों के गुण बढ़ जाते हैं। लक्षणशास्त्र में स्त्रियों के हर अंग-प्रत्यंग के बनावट, उसकी भाव-भंगिमा के बारे में विस्तार से चर्चा है। किसी स्त्री को समझने के लिए सबसे जरूरी है वैसे तो उसके मन को टटोलना। पर उसके अंग विन्यास के आधार पर भी मोटा-मोटा अंदाजा लगाया जा सकता है।
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पुराने समय में घर की बूढ़ी-बुजुर्ग विवाह आदि से पहले किसी लड़की को देखने जाती थीं तो वे इसी अनुभव के आधार पर निर्णय करती थीं। हम आपको बताते हैं वे लक्षण जो यदि स्त्री के अंग में दिखते हों तो वह अच्छी जीवनसाथी सिद्ध होती है।
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