प्रभु शरणं के पोस्ट की सूचना WhatsApp से चाहते हैं तो अपने मोबाइल में हमारा नंबर 9871507036 Prabhu Sharnam के नाम से save कर लें। फिर SEND लिखकर हमें उस नंबर पर whatsapp कर दें।
जल्दी ही आपको हर पोस्ट की सूचना whatsapp से मिलने लगेगी।
[sc:fb]
सूर्य के अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश के अवसर पर मनाया जाता है सकर संक्रांति का पावन पर्व. सूर्य और शनि में पिता-पुत्र होने के बाद भी संबंध अच्छे नहीं है. शनि सूर्य से सबसे ज्यादा दूरी बनाए रखते हैं परंतु सूर्यदेव अपनी चमक प्राप्त करने के पश्चात सबसे पहले पुत्र की राशि में मिलने जाते हैं.
मकर संक्रांति को पतंग उडाने की परंपरा क्यों है. पतंग इस बात का संकेत देती है कि पिता-पुत्र के संबंध यदि असहज हो रहे हैं तो आगे बढ़कर उसे सहजता की ओर ले जाना चाहिए.
पतंग को लोग ज्यादा से ज्यादा ऊंचा ले जाने का प्रयास करते हैं. यह प्रतीक है भगवान सू्र्य के सबसे दूरी पर बैठे अपने पुत्र के घर मिलने जाने और वहां एक माह व्यतीत करने का. भगवान श्रीराम ने भी पतंग उड़ाई था संक्रांति को.
रामचरितमानस में एक प्रसंग आता है जिससे संकेत मिलता है कि संभवतः भगवान श्रीराम ने अपने भाइयों और हनुमानजी के संग पतंग उड़ाई थी। इस संदर्भ में ‘बालकांड’ में एक छोटा सा उल्लेख मिलता है.
बालकांड का यह प्रसंग बड़ा ही रोचक है, उसी के आधार पर ऐसा आंकलन किया जाता है।
‘राम इक दिन चंग उड़ाई।
इंद्रलोक में पहुँची जाई॥’
प्रसंग कुछ इस प्रकार से है. भगवान सूर्य के उत्तरायण होने से देवताओं की शक्ति विशेष रूप से जागृत हुई है. भगवान इसका आनंद मनाना चाहते हैं. पंपापुर से हनुमानजी को विशेष रूप बुलवाया गया है. तब हनुमानजी बाल रूप में थे.
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ‘मकर संक्रांति’ का पर्व कोशलपुरी में मनाया जा रहा है. श्रीराम भाइयों और मित्र मंडली के साथ पतंग उड़ाने लगे. वह पतंग उड़ते हुए देवलोक तक जा पहुँची.
शेष अगले पेज पर. नीचे पेज नंबर पर क्लिक करें.