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जीवों की हत्या करते और कच्चा मांस खाते राजा को सौ वर्ष बीत गए. एक दिन उस वन में गायों का एक झुंड आया. उस झुंड की प्रधान नंदा नामक गाय थी.

एक दिन नंदा गाय अपने झुंड से बिछड़ गई और भटकती हुई बाघ के सामने पड़ गई. बाघ ने उससे कहा- विधाता ने आज तुम्हें मेरा भोजन बनने को भेजा है.

यह सुनकर नंदा सन्न रह गई. उसे अपने बछड़े की याद आई. नंदा ने विनती की- मैंने हाल में ही बछड़े को जन्म दिया है. अभी वह घास नहीं खा पाता.

भूख से व्याकुल होकर वह मेरी राह देख रहा होगा. मैं विनती करती हूं कि मुझे अभी जाने दो. मैं बच्चो को दूध पिलाकर और उसके पालन की जिम्मेदारी सखियों को सौंपकर वापस आ जाउंगी.

बाघ सुनने को राजी न था लेकिन ने नंदा बार-बार विनती की और बाघ को वापस आने का वचन दिया तो बाघ मान गया. उसने नंदा को जाने दिया.

नंदा ने बछड़े को प्यार किया और सबको बाघ की बात बताई. सभी ने कहा कि एक बार जान बची है इसलिए दोबारा काल के गाल में जाने की जरूरत नहीं.

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